इंसानियत की थी परिभाषा, ब्लड डोनेट करके बचाई जान

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गिरिडीह, रोहित कुमार: जिले में भी ऐेसे कुछ लोग हैं, जो रक्तदान के लिए जाने जाते हैं। समय-समय पर रक्तदान करके दूसरों की जिंदगी बचाने के लिए कदम बढ़ाते हैं। न तो जान-पहचान देखते हैं न तो नाते और रिश्तेदारी। इनका उद्देश्य सिर्फ लोगों की जान बचाना होता है।

रक्तदाता निखिल चोधरी पिता अवधेश कुमार नावाहार का रहने वाला (अभी गिरिडीह में रहता है) जब रात को उसको पता चला नवजीवन हॉस्पिटल में किसी को बी पॉजिटिव ब्लड की जरूरत था तो निखिल चौधरी ने तुरंत जाकर उसे ब्लड दी और उसकी जान बचाई आजकल ऐसे लोग बहुत कम ही मिलते हैं.

किसी भी समय जरूरत पड़े ये महादानी हाजिर हो जाते हैं और बड़ी उत्सुकता के साथ अपना ब्लड डोनेट करते हैं। इनमें कुछ ऐसे हैं जिन्होंने अपने ऊपर आई समस्याओं से सीख लेकर रक्तदान शुरू किया तो किसी ने दूसरों से प्रेरणा ली।
जब कोई रास्ता नहीं दिखा तो उन्होंने पहली बार अपना खून देकर जान बचाई। खून की कमी से कहीं किसी की जान न चली जाए, वहीं, गांव नावाहार (बेंगाबाद) के रहने वाले के अवधेश कुमार (शिक्षक)

पुत्र निखिल चौधरी ने रक्तदान को महादान बताया। कहा कि रक्तदान करने वाला किसी डॉक्टर से कम नहीं होता। क्योंकि डॉक्टर इलाज करके लोगों की जान बचाता है, तो वहीं रक्तदाता अपने शरीर का खून देकर रोगी को नई जिंदगी देता है। सभी को रक्तदान करना चाहिए। इससे शरीर या स्वास्थ्य को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। l

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